LEARN FROM LIFE

                                           जीवन से सीखें


                                                        होली की हार्दिक शुभकामनायें
आपका जीवन जो आप इस समय जी रहें हैं, वो आपके बीते हुए दिनों का परिणाम है|
आपके पास शेष एक जीवन है, जो आपके चाहने या चाहने से बदलने वाला नहीं है, आपको
जानना होगा की आप करना क्या चाहते हैं आपको अपनी छोटी सी जिंदगी जिसमें आपने बहुत
सारे उद्देश्य निर्धारित किये हैं, और उनको पाने के लिए निरंतर अभ्यास करते रहते हैं, कुछ में
सफलता प्राप्त करते हैं कुछ में असफल हो जाते हैं, लेकिन आपका अंत ठीक उसी तरह होता है
जैसा आपने कभी नहीं सोचा था!

इसी छोटे से जीवन में आप अनेकों खुशियाँ बटोरते हैं और कभी कभी दुर्भाग्यवश आपकी बटोरी
हुई खुशियाँ आपसे छीन जाती हैं, ऐसा होना प्राकृतिक नियमों में से एक है "आप प्राकृतिक की देन
हैं, इसलिए जब कुदरत चाहेगी तब आपको नष्ट कर देगी" इसमें किसी का वश नहीं है|

ऐसी स्थिति में खुशियाँ और दुखों का आना जाना स्वाभाविक है! आप अपने पास से कुछ खोना नहीं
चाहते और दुखी भी नहीं होना चाहते ऐसा कैसे संभव हो सकता है, आइये एक कहानी के माध्यम
से समझने की कोशिश करते हैं-

यह कहानी एक सैनिक की है जो जंग के बाद घर वापस लौटना चाहता है. वह सैनिक अपने माता
पिता को फ़ोन करता है और कहता है मैं घर रहा हूँ, लेकिन मैं अपने साथ अपने दोस्त को घर
लाना चाहता हूँ.
जरुर उसे तुम अपने साथ लाओ, हमें ख़ुशी होगी "उन्होंने कहा". बेटे ने कहा की उसने जंग में बहुत
चोट खाई है उसने अपना एक पैर और एक हाँथ खो दिया, उसका इस दुनिया में कोई नहीं है वह
अकेला है.

हाँ बेटा शायद हम उसकी कोई मदद कर सकें कुछ दिनों के लिए उसे तुम ला सकते हो.
"नहीं, माँ और पिताजी, मैं उसे घर पर हमेशा के लिए लाना चाहता हूँ, और में चाहता हूँ की वह
जीवन भर हमारे साथ रहे. "बेटे ने कहा."

"पिता, " तुम यह क्या करने जा रहे हो, अगर तुम उसे लाते हो तो यह हमारे जीवन पर बहुत बड़ा
बोझ बनजायेगा, और हमारे जीवन में हस्तक्षेप भी करेगा. उसकी देखभाल करते हुए हमारा सारा
जीवन नष्ट हो जाएगी. इसलिए तुम उसे भूल जाओ और तुम्हे अकेले घर जाना चाहिए, उसे
अपने हाल पर छोड़ दो उसे कोई कोई रास्ता जरुर मिलजाएगा. उसी समय, बेटे ने फ़ोन काट
दिया. शायद उसे उसका जवाब मिल गया था.
माता-पिता ने उससे अधिक कुछ भी नहीं सुना.
कुछ दिनों के बाद उनके पास सैन फ्रांसिस्को पुलिस से फ़ोन आया. उनके बेटे का ईमारत से गिरने
के बाद निधन हो गया था, "पुलिस ने बताया".
माता पिता कुछ ही घन्टों में सैन फ्रांसिस्को पहुंचे. पुलिस का मानना था कि यह आत्महत्या थी.
उसके माता पिता को पहचान के लिए मुर्दा घर ले जाते हैं वह उन्हीं का बेटा था, और उन्होंने देखा
की उसके सिर्फ एक हाँथ और एक ही पैर थे.
दोस्तों आप में से बहुत से लोग इस कहानी के माता पिता की तरह हैं. जो ख़ुशी के लिए किसी एक
चीज पर निर्भर रहते हैं. यदि आप को यह कहानी समझ में आई है तो मैं आपको बताना चाहूँगा
की बेटे ने अपनी इच्छा से आत्म हत्या नहीं की, उसके माता और पिता ने ही कहा था की उसे
उसके हाल पे छोड़ दो वह कोई कोई रास्ता जरुर अपना लेगा, और उसने ऐसा है किया. क्योंकि
वह अपने माता और पिता पर बोझ नहीं बनना चाहता था.
  • आप ही बताइए की क्या- अगर उसके माँ-बाप को यह पता होता की वह उन्हीं का बेटा है जिसने जंग में एक पैर और एक हाँथ गवां दिए तो क्या वे उसे नहीं अपनाते?
  • यदि उसके माता पिता ने उस दोस्त को अपना लिया होता तो क्या वे अपने बेटे को कभी खोते?
मैं यही समझाना चाहता हूँ की अगर आप खुश रहना चाहता हूँ की आप खुश रहने के लिए सिर्फ
अपनी चीजों तक सिमित रहें आपको खुश रहने के अपने इस क्षेत्र को विशाल बनाना होगा
आपको दूसरों लोगों को भी अपनी ख़ुशी में शामिल होना होगा आपको दूसरों के साथ भी ऐसी ही
भावना रखनी पड़ेगी जैसा आप अपने परिवार, अपने अजीज के लिए रखते हो तभी आप अपने
जीवन के सही उद्देश्य तक पहूंच पाएंगे.
-Abhijeet Srivastava
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